Ancient Indian Book: भारत की 9 रहस्यमयी किताबों की जानकारी जिनके बारे में आपने आज तक नहीं सुना होगा लेकिन जानकार हो जाएँगे हैरान और अपनी संस्कृति पे होगा गर्व
Ancient Indian Book
आज हम आपके लिए भारतवर्ष के कुछ अति प्राचीन और रहस्यमय ग्रंथों का वर्णन लेकर आए हैं, जिन्हें जानकर आपको भी अपने भारतीय होने पर गर्व होगा। हमारे प्राचीन ग्रंथों में विज्ञान की जो जानकारी है, इसके लिए हमें उन ऋषिमुनियों का आभार मानना चाहिए जिन्होंने इस रहस्यमय ज्ञान को हमारे लिए लिपिबद्ध किया और वो हमें ये प्राचीन सभ्यता सौंपकर गए।
एक तरफ जहाँ हमारे देश के युवा ही अपने ग्रंथों का मजाक बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया भर के लोगों ने भारत में आकर हमारे ग्रंथों का अध्ययन किया है और अपने ग्रंथों की रचना की है और यहीं से सीखकर उन्होंने कई आविष्कार भी किये है।
पहली किताब | 1st Ancient Indian Book
विज्ञान भैरव तन्त्र: वैसे तो तंत्रशास्त्र पर सैकड़ों पुस्तकें मिल जाएंगी, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है विज्ञान भैरव तंत्र यह पुस्तक किसने लिखी यह आज तक एक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि यह पुस्तक भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद में अस्तित्व में आई थीं। इस पुस्तक में भैरव तंत्र यानी पार्वती के द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं और भगवान शिव उसका उत्तर देते हैं।
इस पुस्तक में कई रहस्य और गुप्त विद्याओं के संबंध में बताया गया है, जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे।
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दूसरी किताब | 2nd Ancient Indian Book
अष्टाध्यायी सूत्रवृत्ति: यह पाणिनि द्वारा रचित दुनिया भर की प्रथम भाषा का प्रथम ग्रंथ है। जो 500 वर्ष ईसा पूर्व की है। इस किताब का नाम अष्टाध्याय इसके आठ अध्याय की वजह से पड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि इन योग सूत्रों को समझने के बाद आपको जिस ज्ञान की प्राप्ति होती है। वो दुनिया में आपको कहीं भी नहीं मिलेगा।
पाणिनि के इस ग्रंथ पर महा मुनि कात्यायन का द्विशुत्रीय वृत्त ग्रंथ है और इसी तरह महर्षि पतंजलि ने इसी ग्रंथ पर बिसाद विवरणात्मक ग्रंथ महाभाष्य लिखा, योगसूत्र में ही अष्टांग योग की चर्चा की गई है या स्ट्रांग योग दुनिया के सभी ग्रंथों और दुनिया के सभी तरह की दर्शनों का सार है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तीसरी किताब | 3rd Ancient Indian Book
सामुद्रिक शास्त्र: सामुद्रिक शास्त्र भी एक रहस्यमय शास्त्र है, जो व्यक्ति के संपूर्ण चरित्र और भविष्य को उजागर करके रख देता है। हस्तरेखा विज्ञान तो समुद्र की विद्या की बस एक शाखा मात्र है। सामुद्रिक शास्त्र, मुखमंडल तथा संपूर्ण शरीर के अध्ययन की विद्या है। भारत में यह वैदिक काल से ही प्रचलित है। दक्षिण भारत में यह ज्ञान ज्यादा प्रचलित रहा है। इसके जानकार भी दक्षिण भारत में ही पाए जाते हैं।
इस विज्ञान का उल्लेख प्राचीन काल के ज्योतिष शास्त्र में भी मिलता है और ज्योतिष शास्त्र की ही भांति सामुद्रिक शास्त्र का जन्म भी लगभग 5000 वर्ष पूर्व में ही हुआ था। इसका प्रचार प्रसार सर्वप्रथम ऋषि समुद्र ने किया था इसलिए इसका नाम उन्हीं के नाम पर सामुद्रिक शास्त्र हो गया।
भारत से यह विद्या यूनान, चीन, रोम और इजराइल तक पहुंची और आगे चलकर यह यूरोप में फैल गई। कहा जाता है कि ईसा पूर्व 423 में यूनानी विद्वान इन शास्त्रों को पढ़ाया करते थे।
चौथी किताब | 4th Ancient Indian Book
उपनिषद्: उपनिषद का नाम तो आपने सुना ही होगा। इसकी कुल संख्या 108 है। उपनिषद् भारत का सर्वोच्च मान्यता प्राप्त विभिन्न दर्शनों का संग्रह है और इसे वेदांत भी कहा जाता है। उपनिषद भारत के अनेकों ऋषि मुनियों के वर्षों के गंभीर चिंतन और मनन का परिणाम है। उपनिषदों को आधार मानकर इनके दर्शनों को सभी भाषा में रूपांतरित कर विश्व के अनेक धर्मों और विचारधारा का जन्म हुआ।
जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी ने जिन 10 उपनिषदों पर अपना भाष्य लिखा, उन्हें प्रामाणिक माना गया है। उपनिषद् वेदों का सार है। उपनिषद् में कई रोचक और आलौकिक और रहस्यमय बातें कही गई है। इसे पढ़कर आपके सोचने का नजरिया बदल जाएगा।
पांचवी किताब | 5th Ancient Indian Book
बेताल पच्चीसी: बेताल पच्चीसी भारत की लोकप्रिय कथाओं में से एक है बेताल पच्चीसी हमें सम्राट विक्रमादित्य के न्याय शक्ति का बोध कराती है। इसमें बेताल सम्राट विक्रमादित्य को प्रति दिन एक कहानी सुनाता है और अंत में सम्राट से एक प्रश्न पूछता है। सम्राट ने कुछ बोला तो बेताल फिर से पेड़ पर जा लटकेगा, प्रश्न का उत्तर नहीं दिया तो सम्राट का सिर फट जाएगा। इसे भारत की पहली घोस्ट स्टोरी माना जाता है।
माना जाता है कि बेताल 25 की कहानियों का स्रोत राजा सातवाहन के मंत्री गुणानिड्य द्वारा रचित है। बरकहा नामक ग्रंथ को दिया जाता है। जिसकी रचना ईसा पूर्व 495 वर्ष पूर्व की गई थी। ऐसा माना जाता है कि ये किसी पुरानी और प्राचीन भाषा में लिखा गया था, इसमें 7 लाख शब्द थे। आज इसका कहीं भी कोई भी अंश प्राप्त नहीं है।
छटवीं किताब | 6th Ancient Indian Book
रसरत्नाकर ऋद्धि खंड: प्राचीन भारत के महान रासायनिक शास्त्री नागार्जुन का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा। उनके जन्म स्थान और समय पर कोई सटीक जानकारी नहीं है क्योंकि इस पर सबके अलग अलग मत हैं। रासायनिक शास्त्र में उनकी दो पुस्तकें रस रत्नाकर और मंगल बड़ी प्रसिद्ध हैं।
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इनकी प्रसिद्ध पुस्तक हैं कक्षपुटतंत्र, आरोग्य मंजरी, योग सार, और योगाष्टक हैं। रस रत्नाकर में रस यानी पारे की योगिक बनाने के प्रयोग दिए गए हैं। इसमें धातुकर्म और कामियगरी के स्तर पर सर्वेक्षण भी किया गया था। इसके अतिरिक्त रसरत्नाकर में रस बनाने के प्रयोग दिए गए हैं, जिसमें धातु का सामग्री के स्तर पर सर्वेक्षण किया गया था।
इस पुस्तक में चांदी, सोना, टिन और तांबे की कच्ची धातु निकालने और उसे शुद्ध करने के तरीके भी बताए गए हैं और इसमें सोना बनाने की विधि का भी वर्णन है। पुस्तक में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि अन्य धातुएं सोने में कैसे बदल जाती है। इसमें हिंगुल और टिन से पारे जैसी वस्तु बनाने का तरीका भी लिखा गया है।
सातवीं किताब | 7th Ancient Indian Book
व्यामनिक शास्त्र: ये एक रहस्यमय किताब है और इसके रचयिता हैं ऋषि भारद्वाज। उन्होंने इस किताब में विमान बनाने की जिस तकनीक का उपयोग किया था। उसका प्रचलन आधुनिक युग में भी होने लगा है। ऋषि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्व नामक प्रद ग्रंथ की रचना की थी और इस ग्रंथ का कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने विमानशास्त्र के नाम से प्रकाशित करवाया था। कहा जाता है इस दिव्य ग्रंथ में उच्च और निम्न स्तर पर विचरण करने वाले विविध धातुओं के निर्माण का विवरण मिलता है।
आठवीं किताब | 8th Ancient Indian Book
अथर्ववेद: अथर्ववेद के सूत्रों को समझना बेहद ही कठिन है। इस वेद में कई तरह की विद्याओं का वर्णन मिलता है जैसे प्राणविद्या, मधु विद्या, सम्मोहन विद्या, विकर्षण विद्या एवं संवर्ग विद्या आदि वर्तमान में प्रचलित रेकी विद्या का जन्म भी इसी विद्या से हुआ है। दरअसल है इस विद्या का जिक्र हमें अथर्ववेद के तेरहवें अध्याय में मिलता है।
अथर्ववेद के अनुसार यदि किसी षड्यंत्रकारी ने यदि धोका देकर अथवा किसी अन्य उपाय से आपका अहित किया है तो आप किसी यक्ष का स्मरण करके ध्यान अवस्था में रहते हुए भी आभास पा सकते हैं कि आपके खिलाफ़ कहा कौनसा षडयंत्र हो रहा है कुछ इसी तरह की विधायक विद्या है संवर्ग विद्या जो उपनिषद् योगिन गाड़ीवान को आती थी। यह गाड़ीवान ही रेकी ऋषि थे।
इनका नाम गाड़ीवान इसलिए था क्योंकि ये अपनी गाड़ी में ही सोते थे और रेकी ऋषि ने विराट से झरती ऊर्जा को सीधे सीधे ग्रहण करने की विधि अपनाई थी। उनकी इस विद्या को जापान में रेकी कहा गया है। कई लोग इसके पीछे का इतिहास नहीं जानते हैं। इसलिए रेकी को जापानी विद्या मानते हैं और इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि सम्मोहन यानी हिप्नोटिज्म का जन्म भी अथर्ववेद से ही हुआ है। सम्मोहन विद्या को ही प्राण विद्या या त्रिकाल विद्या कहा जाता है। इसे मोहिनी विद्या और वशीकरण विद्या भी कहा जाता है।
हमारे ऋषि मुनि सिद्धियां और मोक्ष प्राप्ति के लिए इस विद्या का उपयोग किया करते थे। लेकिन अब यह विद्या गलत लोगों के हाथ में लगी तो उन्होंने काला जादू करना शुरू किया। लोगों को अपने वश में करने लगे।
इस प्रकार आनेको रहस्यमय और ज्ञान से भरा हुआ हमारा इतिहास जहाज भी कहीं किसी ना किसी ग्रंथ में छुपा हुआ है।
नौवी किताब | 8th Ancient Indian Book
लाल किताब: कहा जाता है कि प्राचीन काल में आकाशवाणी होती थी और उसी आकाशवाणी के जरिये कुछ इस प्रकार के ज्ञान की बाते होती थी जो साधारण मनुष्य की सोच से भी परे है। उस वक्त जो ज्ञानी महात्मा ऋषि मुनि होते थे, इतने ज्ञानी होते थे कि आकाशवाणी को सुनकर ही उसे याद कर लिया करते थे। और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विज्ञान सुनाते थे और इसी तरह लोगों ने इन सभी रहस्यमय ज्ञान को ग्रंथों के रूप में लिपिबद्ध कर लिया था।
साल 1939 ईस्वी में रूपचंद जी ने लिखा है कि उन्हें हिमाचल से एक पांडुलिपि मिली थी जिसका उन्होंने अनुवाद किया था जो कि ज्योतिष शास्त्र में पारंगत थे। रूपचंद जी जानते थे कि लाल किताब ज्योतिष के पारंपरिक प्राचीन विद्या का ग्रंथ है और यह विद्या हिमालय से उत्तरांचल तक फैली हुई है और उसके बाद में इसका प्रचलन पंजाब से अफगानिस्तान तक फैला
इसके बाद अंग्रेजों के काल में इस विद्या के बिखरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन् 1939 इसी में 383 पृष्ठों वाली एक किताब प्रकाशित की जिसका नाम लिखा गया लाल किताब।
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Disclaimer
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हालाकि मुझे किताब पढ़ना पसंद है लेकिन मुझे अफसोस है कि मैन इनमें से अभी तक कोई सी भी किताब नहीं पढ़ी है क्योंकि मैंने जितनी भी किताबें पढ़ी हैं वे सब Self Help Books हैं। अब मैं इनमें से भी कुछ बुक्स जरूर पढूंगा। इन किताबों के बारे में जानकारी देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद।