शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के पदाधिकारियों और आंतरिक कमेटी के सदस्यों ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की। यह मुलाकात Narayan Singh द्वारा 4 दिसंबर को सुखबीर सिंह बादल पर किए गए हमले और सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में देवढ़ी के पास गोली चलाने की घटना के संदर्भ में हुई। इस हमले को सिख पंथ के लिए गहरी पीड़ा और धार्मिक आस्था पर आघात बताते हुए कमेटी ने नारायण सिंह को पंथ से बहिष्कृत करने की मांग की है।
प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी:
जत्थेदार को सौंपे गए मांग पत्र में SGPC के जूनियर उपाध्यक्ष बलदेव सिंह कल्याण, वरिष्ठ सदस्य सुरजीत सिंह तुगलवाला, परमजीत सिंह खालसा, अमरीक सिंह वछोआ और रविंदर सिंह खालसा सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल थे।
घटना की निंदा:
मांग पत्र में कमेटी ने कहा कि 4 दिसंबर की घटना में सुखबीर सिंह बादल, जो श्री हरमंदिर साहिब के प्रवेश द्वार पर सेवा में जुटे थे, पर हमला और देवढ़ी स्तंभ पर गोली लगने से सिख समुदाय को गहरा आघात पहुंचा है। यह न केवल श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का अपमान है, बल्कि सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल की आध्यात्मिकता पर हमला है।
पवित्र स्थल का महत्व:
कमेटी के अनुसार, सचखंड श्री हरमंदिर साहिब सिखों और दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और शांति का केंद्र है। यहां के आध्यात्मिक वातावरण से श्रद्धालुओं को समर्पण, प्रेरणा और शांति का अनुभव होता है। ऐसे स्थान पर हमला करोड़ों सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।
इतिहास का संदर्भ:
प्रतिनिधियों ने कहा कि 1984 में इस पवित्र स्थल पर हुए सैन्य हमले का दर्द सिख समाज अब तक भूल नहीं पाया है। इस नई घटना ने सिख समुदाय को एक बार फिर मानसिक पीड़ा में डाल दिया है।
Narayan Singh को पंथ से बहिष्कृत करने की अपील:
SGPC ने जत्थेदार से अनुरोध किया कि पंज सिंह साहिब इस गंभीर घटना पर गहराई से विचार करें और इसे अंजाम देने वाले नारायण सिंह को सिख पंथ से बहिष्कृत करें। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने और धार्मिक आस्था को सुरक्षित रखने के लिए यह आवश्यक है।