देश की 105 Villages की 132 महिलाओं ने एक साल से भी कम समय में 6600 घरों को रोशन कर दिया। जिन घरों तक सरकारें बिजली नहीं पहुंचा पाईं, उन घरों में इन महिलाओं के जरिए सोलर लाइट पहुंच गई। ये महिलाएं घर-परिवार छोड़कर सोलर पैनल इंस्टॉलेशन की ट्रेनिंग लेने राजस्थान के किशनगढ़ पहुंचीं। यहां इन्होंने सोलर पैनल इंस्टॉल करने के साथ ही सोलर पैनल बनाने, उसे रिपेयर करने और उसे बेचने तक की ट्रेनिंग ली। कई महीने की ट्रेनिंग लेने के बाद ये महिलाएं अपने-अपने गांवों को लौट गईं।
उसके बाद उन्होंने अलग- अलग इलाकों में लोगों के घरों में सोलर पैनल इंस्टॉल करना शुरू किया और देश के कई अंधेरे रोशन कर दिया। घरों को सौर ऊर्जा की ट्रेनिंग देने वाली गैर लाभकारी संस्था बिंदी इंटरनेशनल के संजय मालाकार ने बताया, – ट्रेनिंग के लिए उन्हीं महिलाओं का चयन होता है, जिनके गांव में महीनों – बिजली नहीं आती। इन्हें 5 महीने तक सोलर पैनल बनाने और इंस्टॉल करने की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर एक महिला 2000 से 4000 वॉट की रोशनी वाला सोलर पैनल बनाकर लगा सकती है। इससे 4 बल्ब और 1 पंखा चल सकता है। रिपेयर भी – ये महिलाएं खुद ही करती हैं। जिन 132 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गई, वे पूरी क्षमता से काम में जुटी हैं। संस्था समय-समय पर फीडबैक लेती है |
मणिपुरः कूकी हो या मैतई हर घर को रोशन करूंगी
जब मणिपुर में हिंसा हो रही थी, तब कुकी समुदाय की 27 साल की चिंग ने राजस्थान में ट्रेनिंग ली। वे कहती हैं- मैंने सोच लिया था कि कुकी हो या मैतेई हर घर रोशन करूंगी। नौ दिन में ही गांव के सभी घरों में पैनल लगा दिए हैं।
झारखंडः घरों में इंजीनियर जैसा स्वागत हो रहा है
झारखंड के जोधपुर गांव की मंझली मुर्मू (40) बताती हैं- आधे गांव को 24 घंटे बिजली मिल रही है। लोग शुक्रिया कहने घर आते हैं। सोलर रिपेयर या इंस्टॉल करने लोगों के घर जाती हूं तो वहां इंजीनियर जैसा स्वागत करते है |